
गश खाकर गिर पड़े हिमांशु
इससे पहले हिमांशु जैसे ही शव लेकर घर पहुंचे तो वह गश खाकर गिर पड़े। परिवार के लोग दहाड़े मारकर रोने लगे। घर की एक-एक दीवार लोगों के रोने की आवाज से गूंज उठीं। परिवार और मोहल्ले के लोग एक-दूसरे को ढांढस बंधाते रहे। मगर, आंखों से निकलते आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे।
नन्हीं श्री के शव से लिपट गईं चाची
अपनी लाडली भतीजी श्री के शव से हिमांशु की पत्नी लिपट गईं। रुंधे गले से वह सिर्फ एक ही बात कहे जा रही थीं कि मेरी भतीजी अभी तक बोल भी न सकी, दुनिया भी नहीं देखी…और भगवान ने उसे हम सबसे छीन लिया। वह हम सबकी लाडली थी। मई में श्री का मुंडन संस्कार होना था। मगर, कभी सोचा नहीं था कि उसका अंतिम संस्कार करना पड़ेगा।
खुशियों ने मुंह मोड़ा, पसरा मातम
सत्य प्रकाश के बड़े भाई चंद्र प्रकाश बिलखते हुए बोले अभी हार्ट अटैक से भाई सूर्य प्रकाश की मौत हुई थी। सब उस दुख से उबर ही रहे थे। एक माह पूरा भी नहीं हुआ और भाई सत्य प्रकाश, रमा, भतीजा, बहू और पोती भी हमें छोड़कर चली गई। घर में खुशियों का माहौल था। एक और भाई अमेय के पोते का आज मुंडन था। हम सभी को सत्य प्रकाश के आने का इंतजार था कि पर पता नहीं था कि अब उनका व घरवालों के शव आएंगे। चंद्र प्रकाश ने कहा कि मानों अब ऐसा लग रहा है कि खुशियों ने घर से मुंह मोड़ लिया है। हर जगह मातम पसर गया है।
पड़ोसियों का भी छलक उठा दर्द
शव देख पड़ोसी भी अपनी आंखों से बहते आंसुओं को रोक न सके। उनका भी दर्द छलक उठा। बुजुर्ग पड़ोसियों ने जिस अभिषेक को गलियों में खेलते देखा। उसकी शरारतें देखीं। अब उसका शव भी देख लिया। पड़ोसी सहम से गए। उन्होंने किसी तरह से शवों को कंधा दिया।