नंधौर वन्यजीव अभयारण्य में खतरे में पड़े सेमल वृक्ष को बचाने की जंगलात ने कोशिश की है। इस वृक्ष के संरक्षण के प्रयास के साथ लगातार निगरानी और रिपोर्ट करने का फैसला किया गया है। नंधौर अभयारण्य के जौलासाल रेंज में वर्ष-2015 में वन कर्मी त्रिलोक सिंह बिष्ट, हेम पांडे और धर्म प्रकाश मौलखी की टीम ने खोजा था।
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इस वृक्ष की परिधि 94 फीट है, यह वृक्ष क्षेत्र का सबसे पुराने सेमल वृक्ष के तौर पर दर्ज है। डीएफओ कुंदन कुमार कहते हैं कि यह वृक्ष एक अनुमान से सौ साल से अधिक पुराना है, जिसकी करीब लंबाई 120 फीट है। इस वृक्ष के पास समीपवर्ती नदी की धारा से लगातार कटाव हो रहा था, इसके कारण वृक्ष की जड़ें कमजोर हो रही थीं, जिससे इसके गिरने का खतरा बढ़ गया था।
ऐसे में वृक्ष को बचाने के लिए कदम उठाए गए हैं। वृक्ष के पास कटाव से रोकने के लिए सुरक्षात्मक स्ट्रक्चर बनाया गया है। इसके अलावा वृक्ष की स्थिति पर नजर रखने के साथ उसकी लगातार रिपोर्टिंग की व्यवस्था की गई है। प्राचीन वृक्ष जैसे चैंपियन ट्री भी पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, और उनका संरक्षण उतना ही आवश्यक है जितना कि किसी बाघ या हाथी का।