टेलर सिंड्रोम चिकित्सकों के लिए परेशानी का सबब बन रहा है। इससे पीड़ित चिकित्सकों की उंगलियों में गांठे पड़ने के साथ ही अंगूठे में सेंसेशन कम हो रहा है। ऐसे में कई बार चिकित्सकों को ऑपरेशन करने में भी कठिनाई हो रही है। दून अस्पताल के दो से तीन सर्जन इस परेशानी से जूझ रहे हैं।
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मरीजों का उपचार करना अगर चिकित्सकों के लिए बीमारी का कारण बन जाए तो यह बात हैरान करने वाली है, लेकिन यह सच है। सर्जन के रूप में काम करने वाले तमाम चिकित्सक कभी न कभी इस तरह की बीमारी से जरूर जूझते हैं। चिकित्सक इसे प्रोफेशनल हैजर्ड के रूप में भी जानते हैं। अगर इसके उदाहरण की बात करें तो दून अस्पताल के जनरल सर्जरी और बर्न विभाग के डॉक्टर इन दिनों इसकी जद हैं। बड़ी संख्या में ऑपरेशन करने के बाद डॉक्टरों में बोन्स डिफॉर्मिटी की शिकायत भी मिल रही है।
दून अस्पताल के जनरल सर्जन डॉ. अभय कुमार के अनुसार ऑपरेशन करते-करते डॉक्टरों की उंगलियों और हथेली वाले हिस्से में गांठें पड़ रही हैं। इसके अलावा उनके अंगूठे में कुछ भी महसूस करने की क्षमता (सेंसेशन) भी बेहद कम हो गई है। बर्न विभाग के चिकित्सक डॉ. राजेंद्र खंडूड़ी भी इसी तरह की समस्या का शिकार हैं। चिकित्सकों के मुताबिक इस तरह की परेशानी से सबसे अधिक जनरल सर्जरी, ऑर्थो, न्यूरो और गैस्ट्रो विभाग के सर्जन जूझते हैं।